एक बच्चा मन ही मन सोच रहा था, और वो गुनगुना रहा था। नन्हा सा मैं, छोटी सी दुनिया, छोटा सा घर, छोटी सी चिड़िया! छोटा सा प्लेन, छोटी सी ट्रेन, छोटी सी हसी, छोटी सी खुशी, नन्हा सा में और छोटा सा सब, अंतरिक्ष के सामने... छोटी सी सारी दुनिया… फिर क्यों कहता इंसान, खुद को महान ! ~याज्ञिक रावल